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नज़्म
यूसुफ़ ज़फ़र
नज़्म
उर्दू-अदब में ढाई हैं शायर 'मीर' ओ 'ग़ालिब' आधा 'जोश'
या इक-आध किसी का मिस्रा या 'इक़बाल' के चंद अशआर
हबीब जालिब
नज़्म
मादर-ए-हिन्द के फ़नकार थे मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
अपने फ़न में बड़े हुश्यार थे मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नज़्म
मेरे इदराक में हैं कुन-फ़यकूँ के असरार
मिरे अशआ'र में है क़ल्ब-ए-हज़ीं की धड़कन
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
यहाँ माह-ए-मुहर्रम की नुमूदारी पे यकसाँ जोश से
फ़ारूक़-ओ-हैदर आइशा-ओ-फ़ातिमा मिल कर
इशरत आफ़रीं
नज़्म
ऐ मिरी ज़िंदाबाद क़ौम ऐ मिरी ज़िंदाबाद क़ौम
दर्स-ए-महात्मा का भी तुझ पर कोई असर नहीं
अर्श मलसियानी
नज़्म
शाहिद-ए-बज़्म-ए-सुख़न नाज़ूरा-ए-मअ'नी-तराज़
ऐ ख़ुदा-ए-रेख़्ता पैग़मबर-ए-सोज़-अो-गुदाज़